Online ज्योतिष कक्षा
ग्रहा राज्यं प्रयच्छन्ति ग्रहा राज्यं हरन्ति च । ग्रहैव्याप्तमिदं शर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम् ।। तिनै लोक मा हुने सम्पुर्ण कार्य ग्रह को अधिन मा रहेका छन्,
- Per Day 40 min
- Zoom online meeting
- recorded video also available
- perday homework
- group chat as discussion
- Power point slide
- whitebord बाट कक्षा
- अबधि ३ महिना
- Certificate
- many more…
- मंगलाचरण
- काल भेद
- सबै विषयको ज्ञान
- सम्वत्सर का नाम
- अयन
- ऋतु
- राशि
- नक्षत्र
- योग
- करण
- ग्रह
- सम्वत्सर निकाल्ने
- सूत्र
- समयान्तर विधि
- स्थानिय सूर्योदय
- ईष्टकाल
- भयात्
- भभोग
- नामाकरण विधि
- अयनांश
- मेषादिसायन मान
- लग्न स्पष्ट
- पुनः लग्न स्पष्ट
- चन्द्र स्पष्ट
- चालन
- वक्रीमार्गि तालिका
- ग्रह स्पष्ट विधि
- लग्न कुण्डली
- चन्द्र कुण्डली
- सूर्य कुण्डली
- नवांश कुण्डली
- द्वादशांश कुण्डली
- होरा कुण्डली
- द्रेष्काण कुण्डली
- त्रिशांश कुण्डली
- सप्तमांस कुण्डली
- विंशोत्तरी महादशा
- त्रिभागि महादशा
- दशा भुक्त भोग्य
- अन्तर्दशा
- योगिनी दशा
- ई.सं.देखि विं.संमा रुपान्तर
- तिथ्यादि घात चक्र
भाग २ फलित अध्याय - मेष ।
- वृष ।
- मिथुन ।
- कर्कट ।
- सिंह ।
- कन्या
- तुला ।
- वृश्चिक ।
- धनु ।
- मकर ।
- कुम्भ
- मीन
- द्वादश भाव का नाम
- केन्द्रादि संज्ञा
- दृष्टी ज्ञान
- स्वगृह (स्वामी )ज्ञान
- सत्रुमित्रादि ज्ञान
- तत्कालिन सत्रु
- मित्र ज्ञान
- ग्रह को बालादि अवश्था
- उच्च निच
- तालिका
- परमोच्च अंश
- निच परिवहन
- भाव फल नष्ट
- मूलत्रिकोणदी
- संज्ञा
- वक्री ग्रह विशेष फल
- राशि अनुसार दिशा
- काल पुरुष अंग विभाजन
- कोठी ज्ञान
- भावानुसार अंग विभाजन
- ग्रह को लिङ्
- ग्रह को वर्ण
- ग्रह को विप्रादि संज्ञा
- शरिर को अवयव अवस्था
- राजादि संज्ञा
- क्षिण चन्द्रमा
- राशिको चरादि संज्ञा
- द्विपदादि संज्ञा
- सूर्य र चन्द्रमा को स्वरुप
- मंगल र बुध को स्वरुप
- गुरु र शुक्र को स्वरुप
- शनि को स्वरुप
- नष्टादि द्रव्य स्थल
- काल एवं रस
- दिशा स्वामी ज्ञान
- प्रथम भाव
- द्वितिय भाव
- तृतिय भाव
- चतुर्थ भाव
- पञ्चम भाव
- षष्ठ भाव
- सप्तम भाव
- अष्टम भाव
- नवम भाव
- दशम भाव
- एकादश भाव
- द्वादश भाव
- सूर्य को कारक
- चन्द्रमा को कारक
- मंगल को कारक
- बुध को कारक
- वृहस्पती को
- कारक
- शुक्र कारक
- शनि को कारक
- राहु को कारक
- केतु को कारक
- द्विविग्रह गोग फल
- सूर्य चन्द्रमादि युक्त फल
- चन्द्रमा मंगलादि युक्त फल
- मंगल बुधादि युक्त फल
- बुध गुरु आदि युक्त फल
- शुक्र शनि फल
- दशा अन्तर्दशा
- सूर्य
- चन्द्रमा
- मंगल
- बुध
- वृहस्पती
- शुक्र
- शनि
- शुभाशुभ
- मंगला
- पिंगला
- धान्य
- भ्राम्ररी
- भद्रिका
- उल्का
- सिंद्घा
- संकटा
- योगादि प्रकरण
- मारक विचार
- मैथुन
- गर्व लग्न
- बहु विवाह योग
- शुभगा योग
- पति व्रता योग
- पत्नी मृत्यु योग
- पिता परोक्ष जन्म
- पिता को मृत्यु
- स्थान
- उप सुतीका(नर्स)
- संख्या
- दाजु भाई को
- संख्या
- भाई मृत्यु योग
- पिता कष्ट योग
- प्रव्रज्या योग
- लग्न तथा द्रेष्काण
- राज योग
- नवमेश दशमेश
- राज योग
- राज योग भंग
- एकनवली योग
- सुख योग
- राजकुवेर योग
- हृद योग
- काक योग
- दरिद्र योग
- भौम दोष
- भौम दोष परिहार
- काल सर्प योग
- हिनांग योग
- सन्तान हानि योग
- सन्तान हानि दोष
- परिहार
- शुभा शुभ मुहुर्त
- प्रकरण
- बार बेला
- वार
- वार मा दुषित
- समय
- वार अनुसार यात्रा
- दिशा ज्ञान
- मूहुर्त प्रकरण
- बार्षिक मन्त्रि
- मण्डल
- मन्त्री मण्डल बर्ष
- फल
- सम्वत्सर फल
- वार अनुसार मास
- फल
- तिथि का स्वामी
- नाग को शिर
- अतिरक्त अन्य धेरै विषय